Monday, November 2, 2015

भोर भाई शुभ आँखें खोलो


भोर भाई शुभ आँखें खोलो
लड्डू लाया हूँ मुंह धोलो

चिड़ियाँ गायें हैं चुन चुन चुन
पवन चले है सुर सुर सुर सुर

सूर्यकिरण निकली प्यारी सी
आसमान से छट गए हैं तारे

कोयल गा रही गीत है प्यारे
मंदिर में बज रहे शंख घंटाले

जागो अब, कबतक सोओगे
नहीं जागे तो पछ्ताओगे !

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