andaz-e-bayaan अंदाज-ए-बयाँ
Hal-E-Dil | हाल-ए-दिल,कविता शायरी हिन्दी में
Sunday, December 27, 2015
चलने से कुछ नहीं होता !
लोग कहते हैं चलने से कुछ नहीं होता...!!
रास्तों पर चलते चलते, "जिले और शहर" बदल जाते हैं...
शरीर से "जीवन" चला जाये....
...तो इंसान "जिन्दा" से "मुर्दा" हो जाता है !
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