Monday, February 14, 2011

आसमाँ में भी फूल खिलते हैं


नीले आसमाँ में भी फूल खिलते हैं 
सितारों से तो रोज सब मिलते हैं ,
रात में ही तो लोगों को अक्सर चाँद दिखते हैं,
कीचड़ में भी तो कमल खिलते हैं ,
ज़िन्दगी में सच्चे इंसान अब बहुत कम मिलते हैं ,
बुढ़ापे में अक्सर लोग मरने से डरते हैं ,
जाने क्यों लोग सच समझने से डरते हैं ,
जाने क्यों लोग दूसरे के गिरने पर जोर जोर से हंसते  हैं !

जाने क्यों दोस्त कम और दुश्मन जादा मिलते हैं ,
कोयले की खान में ही अक्सर हीरे मिलते हैं ,
जाने क्यों लोग #गंगा को मैला किया करते हैं,
गमों के बाद ही अक्सर ख़ुशी के कुछ पल मिलते हैं,
प्यार में दर्द जुदाई और तड़प के काँटे एक साथ मिलते हैं,
फिर भी न जाने क्यों लोग प्यार किया करते हैं ,
जंग में गिर कर कुछ लोग, फिर से उठकर चल दिया करते हैं ,
इंसान ही इंसान को मारने के लिए बन्दूक लिए फिरते हैं 

जाने क्यों वो आतंकवाद किया करते हैं ,
जाने क्यों लोग दिलों में नफरत का जहर भर लिया करते हैं

 
बड़े ख्वाब देखने वाले ही तो ख्वाबों को साकार किआ करते हैं ,
जाने कैसे लोग दर्द में भी मुस्कुरा कर जी लिया करते हैं ,
अंदर ही अंदर जहर के घूंट पी लिया करते हैं ,
बुरे वक्त को भी हंस के मात दे दिया करते हैं ,
सच्चे दोस्त ही तो अक्सर ऐसे में हमारा साथ दिया करते हैं,
दोस्तों को ही ज़िन्दगी का दूसरा नाम दिया करते हैं 

- अरविन्द !


Friday, October 19, 2007

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