कुछ ख्वाब ऐसे भी...
कुछ ख्वाब ऐसे भी जो आसमा की बुलन्दियों में उड़ते रहे
कुछ ख्वाब ऐसे भी जो जमीन के अंदर सुलगते रहे ,
कुछ सुलझे कुछ उलझते रहे ,
कुछ रुके कुछ चलते रहे ,
कुछ हँसे कुछ मचलते रहे,
कुछ गिरे कुछ फिसलते रहे
कुछ कदम भर चले ,कुछ साथ दूर तक चलते रहे ,
कुछ आवाज़ दिए ,कुछ शान्त चलत रहे
कुछ बहके ,कुछ खामोश कहते रहे ,
कुछ थे पास कुछ दूर रहते रहे
कुछ मिले पास ,कुछ पास आने को कहते रहे !
कुछ ख्वाब ऐसे भी जो आसमा की बुलन्दियों में उड़ते रहे
कुछ ख्वाब ऐसे भी जो जमीन के अंदर सुलगते रहे ,
कुछ सुलझे कुछ उलझते रहे ,
कुछ रुके कुछ चलते रहे ,
कुछ हँसे कुछ मचलते रहे,
कुछ गिरे कुछ फिसलते रहे
कुछ कदम भर चले ,कुछ साथ दूर तक चलते रहे ,
कुछ आवाज़ दिए ,कुछ शान्त चलत रहे
कुछ बहके ,कुछ खामोश कहते रहे ,
कुछ थे पास कुछ दूर रहते रहे
कुछ मिले पास ,कुछ पास आने को कहते रहे !
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